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श्रीमते रामानुजाय नम

श्री हरिदेव मन्दिर का संक्षिप्त इतिहास

श्री हरिदेव मन्दिर वृन्दावन अपने प्रारम्भ काल से ही श्री वैष्णव धर्म प्रचार का केन्द्र रहा है। इसके संस्थापक एवं उनके उत्तराधिकारी धर्म प्रचार कार्य में सदा अग्रणी रहे।
भगवान श्री हरिदेव जी वृन्दावन में विराजमान हैं। ये भगवान श्रीकृष्ण गिरि गोवर्धन धारण के समय में देवराज इन्द्र के द्वारा पूजित हुए। इन्द्र ने हार मानकर श्रीकृष्ण को जिस रूप को सुर भी गौ के दुग्ध से स्नान कर पूजा की थी, उस रूप की मूर्ति की प्रतिष्ठा ब्रज में भगवान श्रीकृष्ण के वंशधर श्री वज्रनाभ ने की थी।
वही प्राचीन मूर्ति काल क्रम से श्री हरिदेव मन्दिर के संस्थापक आचार्य प्रवर श्री स्वामी रामानुजाचार्य जी महाराज को प्राप्त हुई। श्री वज्रनाभ जी श्री अनुरुद्ध जी के सुपुत्र थे । इनकी माता जी को श्री कृष्ण के दर्शनों की बड़ी अभिलाषा थी । इस लालसा में वह हर समय व्याकुल रहती थी । माता जी की इस चिन्तनीय दशा को देखकर वज्रनाभ जी ने कठोर तप किया ।
जहाँ आज भी श्री हरिदेव जी का दर्शनीय मन्दिर बना हुआ है। वहीं पर पहले इस मूर्ति की स्थापना एक नीम के पेड़ के नीचे हुई थी, पश्चात् उत्सव मूर्ति श्री रघुनाथ जी की श्रीलक्ष्मण जानकी समेत हुई । मूलमूर्ति श्री हरिदेव जी के साथ श्री गोदा लक्ष्मी जी की स्थापना की गई। यहाँ दर्शनार्थी बड़ी श्रद्धा से आते हैं।
श्री हरिदेव जी की अर्चना से भक्तों के सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं। श्री हरिदेव मन्दिर के कार्य निर्वाहार्थं एक न्यासपरिषद्( ट्रस्ट बोर्ड) है। जिसकी स्थापना मन्दिर के निर्माता श्री स्वामी रामानुजाचार्य जी महाराज ने की थी।

श्री हरिदेव मन्दिर का व्रतोत्सव

हमारे व्रत और उत्सव हमारे जीवन की प्रेरणा के स्रोत हैं। व्रतोत्सवों से स्वास्थ्य की रक्षा होती है। समाज में संगठन की श्रृङ्खला मजबूत रहती है। शरीर, मनबुद्धि पवित्र एवं निर्मल होकर भगवत्सम्बन्ध की दृढ़ता के लिए आत्मा को उत्साहित करने में समर्थ होते हैं। भगवत्, भागवत् आचार्य सम्बन्धी व्रत 'और उत्सव दैहिक दैविक तथा भौतिक समुन्नति के साथ लोक में अभ्युदय और परलोक में निःश्रेय सभगवत्पद प्रदान करते हैं।
व्रतों के सम्बन्ध में श्री वैष्ण वजन प्रायः भ्रम में पड़ जाते हैं । इसके प्रकाशन से श्री वैष्णवों का बहुत बड़ा उपकार होगा । २४ एकादशी व्रतों और चार जयन्ती व्रतों के निर्णय में अब श्रीवैष्ण वजन सन्देह में नहीं पड़ेंगे। इसी निर्णय के अनुसार श्रीवैष्णवों को व्रत करना चाहिए। प्रायः सभी व्रतों पर भगवान्का विशेष पूजन और उस व्रत की कथा श्रवण करनी चाहिए । विशेष उत्सव, विशेष भोग, व्रत, कथा, दान आदि कर्तव्य हैं । मास व्रत, तिथि व्रत, नक्षत्र व्रत के साथ-साथ आचार्यों, आल्वारों और भगवान्की लीलाओं का अनुसन्धान विशेष रूप से करने योग्य है । हम इस प्रकाशन की सफलता की कामना करते हैं।

श्री ठाकुर श्रीवैकुंठनाथ भगवान,वृंदावन



श्री वेंकटेश भगवान,जयपुर

गुरु परम्परा

(१) अस्मद्गुरुभ्यो नमः
(२) अस्मत्परमगुरुभ्यो नमः
(३) अस्मत्सर्वगुरुभ्यो नमः
(४) श्रीमते रामानुजाय नमः
(५) श्रीपरांकुशदासाय नमः
(६) श्रीमद्यामुनये नमः
(७) श्रीराममिश्राय नमः
(८) श्रीपुण्डरीकाक्षाय नमः
(e) श्रीमन्नाथमुनये नमः
(१०) श्रीशठकोपाय नमः
(११) श्रीमतेविष्वक्सेनाय नमः
(१२) श्रियैनमः
(१३) श्रीधराय नमः




अस्मदुदेशिकमस्मदीयपरमाचार्यानशेषान्गुरून्,
श्रीमल्लक्ष्मणयोगिपुंगवमहापूर्णोमुनियामुनम् ।
रामंपद्मविलोचनंमुनिवरंनाथंशठद्वेषिणं,
सेनेशंश्रियमिन्द्रिरासहचरंनारायणंसंश्रये ॥ १॥

लक्ष्मीनाथसमारम्भांनाथयामुनमध्यमाम् ।
अस्मदाचार्यपर्यन्तांवन्देगुरुपरम्पराम् ॥२॥

श्रीधाम वृन्दावन

दिव्यदेश की विभिन्न सेवाएँ



क्र.सं.1.
तुलसी अर्चना
(1) अष्टोत्तरशत
एक दिन रूः 11/-
एक माह रूः 151/-
तीन माह रूः 451/-
छ: माह रूः 901/-

(2) सहस्त्रोत्तर
एक दिन रूः 21/-
एक माह रूः 301/-
तीन माह रूः 901/-
छ: माह रूः 1801/-
एक वर्ष रूः 3601/-

(दिव्यदेश में श्री वैकुण्ठनाथ भगवान, श्री लक्ष्मी वैंकटेश भगवान, श्री वेणुमाधव भगवान एवं श्री लक्ष्मी नारायण भगवान एवं श्री महालक्ष्मी जी के श्री चरणों में अलग-अलग तुलसी अर्चना सेवा का लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

क्र.सं.2.
दुग्धभिषेक
श्री लक्ष्मी वैंकटेश भगवान का प्रत्येक शुक्रवार को
अभिषेक रू. 151/-
महाभिषेक रू. 251/-
महाराजाभिषेक रू. 501/-

क्र.सं.3.
भोग सेवा
पूरे दिन का भोग रू. 2101/-
राजभोग रू. 1101/-
बाल भोग/सांयकालीन भोग 501/- GEN

क्र.सं.4.
अखण्ड दीपक सेवा
एक दिन रू. 31/-
एक माहरू. 501/-
तीन माहरू. 1501/-
छ: माह रू. 3001/-
एक वर्ष 6001/-

क्र.सं.5.
धनुर्मास उत्सव सेवा
नित्य सेवा रू. 251/-
विवाहोत्सव (पाँच दिवस) रू. 1101/-
एक दिन की सेवा सम्पूर्ण सेवा रू. 5101/-

क्र.सं.6.
श्री वैकुण्ठोत्सव सेवा
प्रतिदिन रू. 2100/-
सम्पूर्ण सेवा (दस दिवस) रू. 21,000/-

क्र.सं.7.
श्री ब्रह्मोत्सव सेवा
पूरे दिन की सेवा रू. 5100/-
आधे दिन की सेवा रू. 2100/-

क्र.सं.8.
विशेष वाहन सेवा
(गरुड़, शेष, घोड़ा हनुमान आदि पर विशेष सवारियों में) रू.3100/- प्रतिवाहन

क्र.सं.9.
मासिक सेवा
स्वेछानुसार
क्र.सं.10.
श्री सुदर्शन भगवान का
श्री सुदर्शन शतक पाठ (विशेष विद्वानों द्वारा)    रू. 1100/- प्रतिदिन
क्र.सं.11.
विशेष    रू. 51,000/-
एक साथ जमा कराने पर इसके ब्याज से निरन्तर भगवान का भोग लगाया जायेगा एवं एक अभ्यागत को प्रसाद कराया जायेगा।

उपरोक्त सेवाओं की सेवा राशि ट्रस्ट ठाकुर श्री हरिदेव जी महाराज के नाम से यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया (वृन्दावन) के खाते सं. 522902010504108 (IFSC CODE UBIN0552291) में भी जमा करा सकते हैं।

ट्रस्ट ठाकुर श्री हरिदेव जी महाराज
श्री गोदा हरिदेव दिव्यदेश, श्रीधाम वृन्दावन (मथुरा, यू.पी.)
श्री गोदा हरिदेव दिव्यदेश, तटिया स्थान रोड़, श्रीधाम वृन्दावन (मथुरा, यू.पी.)
मो. स्वामी जी- +91-8218708801, मो. का. +91-6397915610